FOR MORE UPDATES GO TO :- http://gondmahasabha.blogspot.in/
sach
Top of Form
|
||||||||||||
:
|
Bottom of Form
Itihas ko janiye....
बात फरवरी 1835 की है। यह वह समय था जब अंग्रेज सम्पूर्ण भारत को अपना
गुलाम बनाने के लिये जी-तोड़ प्रयास कर रहे थे, तब लार्ड मैकाले,
जो इतिहासािर के साथ -साथ कुटिल राजनीतिज्ञ भी था,ने
ब्रिटिष पार्लियामेंट में ऐतिहासिक भाशण दिया था,
इसे कार्य वृत के रूप में सार्वजनिक किया गया।
यह ऐसा भाशण था,जिसे सदियों से हरे-भरे
भारतीय षिक्षा के वृ़क्ष पर भीशण
कुठाराघात किया।
मैकाले के षब्द थे....‘‘मैैने भारत के कोने-कोने की यात्रा की है और मुझे एक भी ऐसा व्यक्ति दिखाई नही दिया,जो भिखारी हो या चोर हो,मैने इस देष में ऐसी सम्पन्नता देखी,ऐसे उचे नैतिक मुल्य देखे,ऐसे योग्य व्यक्ति देखे,कि मुझे नही लगता कि जब तक हम इस देष की रीढ़ की हड्डी न तोड़ दें,तब तक हम इस देष को जीत पायेंगे और यह रीढ़ की हड्डी है-इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत। इसके लिये मेरा सुझाव है कि हमें इस देष की प्राचीन षिक्षा व्यवस्था को,इसकी संस्कृति को बदल देना चाहिये। यदि भारत यह सोचने लगे कि वह हर वस्तु जो विदेषी और अंग्रेजी है,उनकी अपनी वस्तु से अधिक श्रेश्ठ और महान है तो उनका आत्म गौरव,उनके मूल संस्कार नश्ट हो जायेंगे और तब वे वैसे बन जायेंगे जैसा हम उन्हे बनाना चाहते हैं-एक सच्चा गुलाम राश्ट्र’’।
Subscribe to:
Posts (Atom)